लॉकडाउन के दौरान कराये 60 महिलाओं के सुरक्षित प्रसव
एक नर्स में मानवता, सहानुभूति तथा आत्मीयता के भाव होते हैं
मुरादाबाद, 11 मई 2020। जहाँ एक तरफ पूरी दुनिया में कोरोना महामारी फैली हुई है लोग इस कोरोना संक्रमण के खौफ से डरे हुए है वहीं दूसरी तरफ स्वास्थ्य कार्यकर्ता सब कुछ भूलकर अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाहन कर रहे हैं | इसी श्रेणी में आज हम बात कर रहे हैं जिला महिला अस्पताल के लेबर रूम में तैनात स्टॉफ नर्स सीमा यादव की। सीमा ने 25 मार्च 2015 में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कांठ में बतौर स्टॉफ नर्स संविदा स्वास्थ्य कर्मी के रूप में अपनी शुरुआत की। चार बर्ष अथक मेहनत और कार्यकुशलता के साथ अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाहन किया। ड्यूटी दिन की हो या रात की कभी भी गुरेज नही किया। सीमा बताती हैं कि टीकाकरण हो या परिवार नियोजन सेवाएं या फिर प्रसव सभी कार्य पूरी लगन और जिम्मेदारी के साथ किये।
सीमा ने बताया कि उनके घर का माहौल ही ऐसा था कि दूसरों की सेवा की प्रेरणा हमेशा मिलती रही। मदर टेरेसा की कहानी जब भी सुनती तो लगता था कि उनकी तरह क्या मैं लोगों की सेवा नहीं कर सकती ।यही सब देखकर और सोचकर सीमा ने स्टॉफ नर्स बनकर सेवा करने का फैसला लिया।
उनकी कार्यकुशलता और अनुभवों को दृष्टिगत रखते हुये सरकार द्वारा फरवरी 2019 में उनका चयन स्थाई स्टॉफ नर्स के रूप में जनपद बिजनौर के जिला महिला चिकित्सालय में हो गया।जहाँ वे लेबर रूम में अपनी सेवाएं दे रही थीं। वर्तमान में सीमा 9 अगस्त 2019 से अटेचमेंट के आधार पर जिला महिला चिकित्सालय मुरादाबाद में अपनी सेवाएं दे रही हैं।
सीमा ने बताया कि आज जब सारा विश्व कोरोना से जूझ रहा है इसको देखते हुये कर्मचारियों को छुट्टी नहीं मिल पा रही है ऐसी स्थिति में कुछ परेशानी तो हुई है लेकिन फिर सोचा कि इस महामारी में सम्पूर्ण जगत की निगाहें स्वास्थ्य कर्मियों के ऊपर हैं और सभी को उम्मीद भी यही है कि अगर कोई कुछ कर सकता है तो वह स्वास्थ्य कर्मी ही है। जिसे आज धरती का भगवान की संज्ञा दी जा रही है यही सोचकर सब कुछ भूलकर अपनी ड्यूटी में लगे हैं।
सीमा ने बताया कि जब से लॉक डाउन हुआ है तब से अब तक अपनी ड्यूटी के दौरान लगभग 50 से 60 प्रसव कराये हैं।कोई परेशानी नहीं हुई परन्तु लाभार्थी महिला जब हॉट स्पॉट एरिया से होती है तब मन मे एक अनजाना सा डर लगता है। परन्तु फिर याद आता है कि हमने तो यह पेशा ही लोगों की सेवा करने और उनके चेहरे पर मुस्कान देखने के लिए चुना है। वैसे भी एक नर्स में मानवता, आत्मीयता और सहानुभूति के भाव होने चाहिए यही सब सोचकर चेहरे पर मुस्कुराहट लेकर फिर अपनी जिम्मेदारियों को याद कर लग जाते हैं सच्ची सेवा करने में।
अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस का महत्व
हर साल 12 मई को दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है। नर्सें लोगों को स्वास्थ्य सेवाए प्रदान करने और स्वस्थ रखने में बड़ा योगदान देती हैं। यह दिन नर्स द्वारा स्वास्थ्य के क्षेत्र में किये गए कार्यो को करने तथा उनके जज्बे को सलाम करने का होता है साथ ही यह दिन दुनिया में नर्सिंग की संस्थापक फ्लोरेंस नाइटिंगेल को भी श्रद्धांजलि देता है।
नर्सिंग दुनिया भर में स्वास्थ्य रखरखाव से संबंधित सबसे बड़ा पेशा है। लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर रखने में नर्सों का बड़ा योगदान होता है। नर्सों को प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि वे मरीजों को मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और चिकित्सीय तौर पर फिट होने में मदद करें। इस दिन को मनाकर नर्सों के योगदान को रेखांकित किया जाता है। इससे दुनिया नर्सों के महत्व से अवगत होती है। नर्सों को समाज में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है।
अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस का इतिहास
अमेरिका के स्वास्थ्य, शिक्षा और कल्याण विभाग के एक अधिकारी डोरोथी सुदरलैंड ने पहली बार नर्स दिवस मनाने का प्रस्ताव 1953 में रखा था। इसकी घोषणा अमेरिका के राष्ट्रपति ड्विट डी.आइजनहावर ने की थी। पहली बार इसे साल 1965 में मनाया गया था। जनवरी, 1974 में 12 मई को अंतरराष्ट्रीय दिवस के तौर पर मनाने की घोषणा की गई। इसी दिन यानी 12 मई को आधुनिक नर्सिंग की संस्थापक फ्लोरेंस नाइटिंगेल का जन्म हुआ था। उनके जन्मदिन को ही अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के तौर पर मनाने का फैसला लिया गया। इस मौके पर हर साल अंतरराष्ट्रीय नर्स परिषद द्वारा अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस किट तैयार किया जाता है और उसे बांटा जाता है। 1965 से अभी तक यह दिन हर साल इंटरनैशनल काउंसिल ऑफ नर्सेज द्वारा अंतरराष्ट्रीेय नर्स दिवस के रूप में मनाया जाता है। इंटरनैशनल काउंसिल ऑफ नर्सेज इस मौके पर नर्सों के लिए नए विषय की शैक्षिक और सार्वजनिक सूचना की जानकारी की सामग्री का निर्माण और वितरण करके इस दिन को याद करता है।