राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा 29 मई 2022 को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन क्या जा रहा है। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण सर्वाेच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय के निर्देशों पर कार्यपालक अध्यक्ष उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के आदेशानुसार 29 मई रविवार को आर्बिट्रेशन के निष्पादन वादों के निस्तारण हेतु विशेष लोक अदालत का आयोजन जनपद न्यायालय रामपुर में प्रातः 10ः00 बजे से जनपद न्यायाधीश/ अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रामपुर के मार्गदर्शन में किया जा रहा है।
पूर्ण कालिक सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री रमेश कुशवाहा ने बताया कि विशेष के लोक अदालत में वादकारीगण अपने आरबीट्रीशन के निष्पादन वादों का निस्तारण संबंधित न्यायालय में उपस्थित होकर करा सकते हैं।
माननीय जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार तहसील टाण्डा में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन पूर्ण कालिक सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री रमेश कुशवाहा की अध्यक्षता में किया गया।
सचिव द्वारा वैवाहिक विवाद के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि प्रत्येक जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यधीन मध्यस्थता केन्द्र (परामर्श एवं सुलह समझौता केन्द्र) संचालित हैं, जिसमें अनुभवी, प्रशिक्षित, सक्षम व सुयोग्य मध्यस्थ विशेषकर पारिवारिक मामलों को आपसी संवाद द्वारा सुलझाने का प्रयास करते हैं मध्यस्थता एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें पक्षकार स्वयं अपनी समस्या का समाधान स्वेच्छा से, बिना किसी दबाव या प्रलोभन के आपसी बातचीत के द्वार मध्यस्थ के सक्रिया सहयोग से ढूँढ़ने का प्रयास करते हैं। मध्यस्थता कम खर्चीली एवं कम समय में पूरी हो जाने वाली प्रक्रिया है। जीवन छोटा है इसे फालतू के विवाद में बर्बाद नही करना चहिए।
शिविर में आपसी सहमती से तलाक प्राप्त करने की भी जानकारी दी गयी। रजामंदी से तलाक प्राप्त करने का प्राविधान धारा 13-बी में किया गया है जिसके अन्तर्गत पति-पत्नी को विवाह के एक वर्ष के पश्चारत् संयुक्त रूप से एक आवेदन पत्र सक्षम न्यायालय के सम्मुख देना होता है जिसमें दोनो पक्षकारों को न्यायालय के सम्मुख बुलाया जाता है और यदि दोनों पक्षकार न्यायालय के समक्ष रजामंदी से तलाक लेने की सहमति प्रकट करते हुए अपना बयान देते है तो उसके आधार पर न्यायायल पक्षकारों की रजामंदी के आधार पर तलाक की डिग्री पारित करके विवाह का विच्छेद कर देता है।
विशेष विवाद अधिनियम, 1954 और भारतीय तलाक अधिनिय, 1869 की धारा 36 के अन्तर्गत न्यायालय द्वारा अंतरिम भरण-पोषण का आदेश किया जा सकता है। उसके अनुसाक पुनस्थापन न्यायिक पृथक्करण एवं तलाक के मामले में यदि पत्नी के पास आय का अन्य कोई स्वतंत्र साधन नहीं है तो न्यायालय पति की आय को ध्यान में रखते हुए उचित धनराशि उसे वाद व्यय एवं भरण-पोषण के लिए प्रदान कर सकता है।