रामपुर‚ 30 26 जून 2020। जिस प्रकार सैनिक देश की रक्षा करते हैं, उसी प्रकार डॉक्टर हमारे स्वास्थ्य की रक्षा करते हैं। वह शरीर को स्वस्थ व निरोगी बनाने में हमारी हर तरह की मदद करते हैं ताकि हम पूरी उर्जा के साथ घर-परिवार के साथ ही देश के विकास में अपना सक्रिय योगदान दे सकें | ऐसे चिकित्सकों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करने के लिए ही हर साल पहली जुलाई को चिकित्सक दिवस यानि डाक्टर्स डे मनाया जाता है | आईये अपने पेशे से सर्मपित ऐसे ही कुछ चिकित्सकों से मिलवाते है।
मुख्य चिकित्साधिकारी डा० सुबोध कुमार शर्मा एक सफल सर्जन के रूप में लोगो को नया जीवन दे रहे है। 28 जुलाई 2017 को रामपुर के मुख्य चिकित्साधिकारी का पदभार ग्रहण करने के बाद जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने एवं स्वास्थ्य विभाग की विभिन्न योजनाओं को समुदाय में पहुंचाने के लिये दिन रात प्रयासरत हैं इसके साथ ही कोविड-19 के दौरान कुशल प्रबंधन के जरिये जिले में संक्रमण पर काफी हद तक नियंत्रण पाया हुआ है। डॉ. शर्मा ने अपनी 16 वर्षों की सेवा में लगभग छह हजार लोगों की सफल सर्जरी व इलाज कर बाद नया जीवन देने का पुनीत कार्य किया है। कोविड19 आपदा में उत्कृष्ट सेवा प्रदान करने के लिए मीडिया वेलफेयर एसोसिएशन उ०प्र० एवं राष्ट्रीय संस्था बालाजी द्वारा सम्मानित भी किया गया है। सीआरपीएफ में कमांडेंट मेडिकल के रूप में जवानों एवं उनके परिवार को चिकित्सीय सेवाएं प्रदान कर रहे डा० अशरफ खान वरिष्ठ फिजीशियन हैं 16 वर्षों में लाखों लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर चुके हैं उनकी पहली प्राथमिकता है केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवानों को पूर्णतया स्वस्थ रखना। एक दंत चिकित्सक के रूप में दस वर्षों से लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं दे रहीं डा० असफिया पेशे के साथ घर को संभालने में दोहरी भूमिका में हजारों लोगों के मुख रोग का निदान कर चुकी हैं। 14 वर्ष से आयुर्वेद चिकित्सक के रूप में सेवाएं दे रहें है डा० कुलदीप सिंह चौहान‚ समाज सेवी संस्था आयुर्जीवनम् सेवा समिति से जुडकर 2009 से अब तक छह हजार बयालिस निःशुल्क चिकित्सा शिविर लगा कर लाखों लोगों स्वास्थ्य लाभ दे चुके है। सोशल साईट‚ फेसबुक‚ टयूटर‚ ब्लॉग‚ वाटसएप्प हेल्थ गुप के जरिये स्वास्थ्य के प्रति जागरूक कर रहे है। छात्रों को तंबाकू‚ नशीले पदार्थ और ऑनलाईन गेम की लत से बचाव को जागरूक कर रहे है। समाज में स्वास्थ्य सेवाओं के योगदान के लिए डाबर ने उत्तम रसवैध उपाधि‚ नमामि गंगे प्रेजेक्ट फाउडेंशन दिल्ली ने योग चिकित्सा एवं हिप्नासिस मोटीवेशन इंस्टीटयूट्‚ यूएसए द्धारा स्प्रिचुअल थेरेपी के लिये वैल एचीवमेंट से सम्मानित किया है।
डा० सुबोध कुमार शर्मा‚ मुख्य चिकित्साधिकारी एवं सर्जन
चिकित्सक को हर समय चुनौतियों का सामना करना होता है
ʺसमाज में चिकित्सकों के लिये अपार सम्मान की भावना को बचपन में देखा था। किशोरावस्था आते – आते चिकित्सीय पेशे की उपयोगिता भी समझ आ गई थी बस तभी से मेरे मन ने इस पेशे को अपनाने का निर्णय ले लिया था। ग्रामीण क्षेत्र में सेवा देना चाहता था इसीलिये प्रांतीय चिकित्सा संघ के माध्यम से स्वास्थ्य विभाग को चुना। सर्जन के तौर पर बहुत चुनौतियां होती हैं कई बार संसाधनोंके अभाव में भी कार्य करना होता है। सफल सर्जरी के बाद मरीज की देखभाल सबसे ज्यादा जरूरी होती है। जरा सी लापरवाही बना बनाया खेल बिगाड देती है। इलाज के बाद मरीज के पूर्णतया स्वस्थ होने तक चिंता बनी रहती। सेवानिवृत्ति के बाद गरीबों एवं असहाय मरीजों को निःशुल्क चिकित्सा सेवा प्रदान करने की योजना है चिकित्सक दिवस के मौके पर अपने साथियों से पेशे के प्रति सर्मपण एवं निःस्वार्थ सेवा भाव बनाये रखने की अपील करता हूँ।
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डा० कुलदीप सिंह चौहान‚ आयुर्वेदाचार्य‚ स्प्रिचुअल थेरेपिस्ट।
चिकित्सा पेशे में मानव सेवा के अवसर से प्रभावित हो चिकित्सक बना
ʺलेखक बनना चाहता था। स्वयं के बीमार होने के बाद अस्पताल में कई महीनों तक भर्ती रहने के दौरान डाक्टर और नर्स की सेवा भावना ने मुझे इस पेशे के प्रति आकर्षित किया। परंतु आयुर्वेद द्धारा स्वस्थ होने के कारण आयुर्वेद को ही चुना। आयुर्वेद में निरोग रहने के लिये केवल दवाएं ही पर्याप्त नहीं। अहार–विहार एवं सकारात्मक विचार के प्रति अनुशासित होना जरूरी है। यही आज के लोगों को समझाना चुनौती है। चिकित्सक को मरीज के प्रति व्यापारिक दृष्टिकोण त्याग कर उसकी पीडा को हृदय से समझें और समुदाय के लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर केवल चिकित्सक पर ही निर्भर न हो। अच्छी जीवनशैली का पालन करें।ʺ
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डा० एस. अशरफ खान‚ कमांडेंट मेडिकल‚ फिजीशियन।
सुरक्षा बल की सेवा का मन शुरू से था
ʺसमाज ने डाक्टर को भगवान का दर्जा दिया हुआ है, इस वजह से हमारे पेशे की जिम्मेदारी ज्यादा है। मानव सेवा में डाक्टर पेशे के साथ सुरक्षा बल में सेवा देने की भावना बचपन से ही मन में थी। जब किसी का जीवन खतरे में होता है तो वह भगवान के साथ – साथ डाक्टर की ओर भी आशा भरी नजरों से देखता है‚ यही एक डाक्टर के लिये बडी चुनौती होती है यह जानते हुए की कोशिश उसके हाथ में है जीवन नहीं।ʺ
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घर सँभालने के साथ लोगों की सेवा का जूनून
डा० असफिया‚ दंत चिकित्सक
ʺबचपन में लोगों को दांत के दर्द से बिलखते देखा तभी से दंत चिकित्सक पेशा चुनने का विचार कर लिया था। किन्तु दंत चिकित्सक बनने के बाद जाना की इस पेशे की सबसे बडी चुनौती तो इसका सेटअप है। आज के दौर में बिना आधुनिक मशीनों के दांत एवं मुख के रोग का निदान संभव नहीं है। मुंह का भाग काफी संवेदनशील होता है। दंत चिकित्सक को अधिक धैर्य और एकाग्रचित होकर लोगों की सेवा करनी चाहिए।”