लोगों की जान बचाने के योद्धा है डाक्टर
डाक्टरर्स डे
डॉक्टर के समर्पण, कार्य के प्रति, निष्ठा, ईमानदारी, लगन को सम्मान देने के लिए और उन्हें सलाम करने के लिए मनाया जाता है यह दिन।
रामपुर 30 जून 2020। भारत में राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस एक बड़ा जागरुकता अभियान है जो सभी को मौका देता है डॉक्टरों की भूमिका, महत्व और जिम्मेदारी के बारे में जानकारी प्राप्त करने के साथ ही साथ चिकित्सीय पेशेवर को इसके नजदीक आने और अपने पेशे की जिम्मेदारी को समर्पण के साथ निभाने के लिये प्रोत्साहित करता है। संपूर्णं चिकित्सीय पेशे के लिये सम्मान प्रकट करने के लिये डॉ बिधान चन्द्र रॉय की याद में इस दिन को मनाया जाता है।
डा० सुभिराज वर्मा‚ सर्जन
मरीजों की सेवा से जो संतोष मिलता है, शब्दों में नहीं किया जा सकता बयां
सीआरपीएफ में जवानों को सेवा प्रदान कर रहे वरिष्ठ सर्जन डा० सुभिराज वर्मा ने कहा कि डॉक्टरी महज पेशा नहीं। पुण्य कमाने का वह अवसर है, जो ईश्वर ने मुझे दिया है। जीविकोपार्जन के लिए तो कोई भी विधा अपनाई जा सकती है, लेकिन सामाजिक सरोकार तो इसी से पूरे होते हैं। मरीजों की सेवा करने से जो संतोष मिलता है उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। ये सिर्फ शब्द नहीं बल्कि एक ऐसा अहसास है। मरीजों का इलाज किए वगैर मै एक पल भी नहीं रह सकता।
14 फरवरी 1983 में बतौर पहले सर्जन अपनी सेवायें प्रारंभ की। 38 वर्ष की चिकित्सा में लगभग नौ हजार से अधिक रोगियों की सफल सर्जरी के जरिये स्वास्थ्य प्रदान किया। वर्तमान में सीआरपीएफ में सेवा प्रदान कर रहे है। कोविड19 के संक्रमण के दौरान भी सेवाएं जारी रखी।
डा० जुबैर खान
जौहर मेडिकल कॉलेज क लेवल वन कोविड19 अस्पताल में तैनात डा० जुबैर खान ने कहा कि कोरोना संक्रमण की चिकित्सा बेहद चुनौतीपूर्ण है। दूसरे रोगों में मरीज के साथ डिस्टेंशिंग की इतनी फिक्र नहीं होती जितनी की कोविड के समय हो रही है। स्वयं को बचाते हुए संक्रमित की सेवा करना और उसकी जान बचाना मुश्किल तो है लेकिन डाक्टरी पेशे में ऐसी चुनौतियों का सामना करने का बल मरीज का डाक्टर के प्रति विश्वास ही देता है।
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डा० खाबर खान
आईसोलेशन में मरीजों की देखभाल कर रहे डाक्टर खावर खान ने कहा कि सम्मान, भरोसे और भावनाओं से गुथा हुआ रिश्ता होता है डॉक्टर और मरीज का। जब कभी भी मुसीबत आती है तो हम डॉक्टर पर ही भरोसा करके उस बुरे वक्त से बाहर निकलते हैं। वहीं मरीज के विश्वास के बल पर ही डॉक्टर्स का मनोबल बढ़ता है और अपने काम में सफल होते हैं। कोविड एक अलग तरह की स्वास्थ्य समस्या है। इसमें मजबूत मानोबल की जरूरत डाक्टर और मरीज दोनों को होती है। हमें इस बात का संतोष है कि हम अपने कर्तव्य का पालन भलिभांति कर रहे है।