रामपुर‚ 1 अगस्त 2020। आज से विश्व स्तनापान सप्ताह मनाया जा रहा है। सात अगस्त तक चलने वाले विश्व स्तनापान सप्ताह की ग्लोबल थीम स्वस्थ समाज के लिए स्तनपान का संकल्प रखी गयी है। इस दौरान स्वास्थ्यकर्मी एएनएम आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के सहयोग से अधिक से अधिक माताओं को स्तनपान कराने के लिए प्रेरित किया जाएगा। विश्व स्तनापान सप्ताह का शुभारम्भ प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने सुबह 10 बजे ऑन लाइन किया।
जिला कार्यक्रम अधिकारी अंकित शर्मा ने बताया विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान आंगनबाड़ी, आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर माता और पिता दोनों की काउंसलिंग करते हुए स्तनपान के लिए प्रोत्साहित करेंगी। इस बार कोरोना के संक्रमण को देखते हुए इस बात की भी जानकारी दी जाएगी कि स्तनपान के दौरान कौन-कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए।
डीसीपीएम प्रभात कुमार ने कहा कि विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान स्तनपान के प्रति जागरूकता अभियान के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। आईसीडीएस एकीकृत बाल विकास योजना और स्वास्थ्य विभाग मिलकर जागरूकता अभियान चलाएंगे । इस दौरान ट्रिपल ,यानी एएनएम आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता धात्री माताओं को स्तनपान के लाभ बताएंगी और साथ ही यह भी समझाएंगी कि पहले छह माह बच्चे को स्तनपान के अलावा पानी भी देने की जरूरत नहीं है। केवल स्तनपान से बच्चे को छह माह तक संपूर्ण पोषक आहार प्राप्त हो जाता है। छह माह के बाद ही बच्चे को स्तनपान के साथ कुछ देने की जरूरत होती है।
स्तनपान निगरानी एवं प्रोत्साहन समिति के स्वास्थ्य प्रेरक सदस्य डा० कुलदीप चौहान ने कहा कि फ्रंटलाईन वर्करों द्धारा माता-पिता तक सदेश पहुंचाया जा रहा है कि दो वर्ष तक स्तनपान हर बच्चे का मौलिक अधिकार है। स्तनपान मां और बच्चे के स्वस्थ रहने का आधार भी है। उन्होंने कहा कि विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान आंगनबाड़ी और आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर धात्री महिलाओं को स्तनपान कराने का सही तरीका भी सिखाएंगी। स्तनपान से मां और बच्चे को होने वाले फायदे के बारे में बताएंगी और भूखा होने पर बच्चे के संकेतों को पहचानना भी सिखाएंगी।
प्रसव के एक घंटे में जरूरी है स्तनपान
मुख्य चिकित्साधिकारी डा सुबोध कुमार शर्मा ने कहा कि प्रसव के एक घंटे के अंदर बच्चे को स्तनपान कराना जरूरी होता है। दूर-दराज के क्षेत्रों में ऐसे मिथक प्रचलित हैं कि प्रसव के बाद मां का पहला दूध गंदा होता है, यह बिल्कुल गलत और निराधार है। मां का पहला गाढ़ा दूध बच्चे के लिए टीके का काम करता है। इससे बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। उन्होंने कहा कि मां के उपचाराधीन होने पर भी जरूरी सावधानी के साथ स्तनपान कराया जा सकता है। उन्होंने बताया स्तनपान कराने वाली मां को पानी की अधिक जरूरत होती है। कहा कि मां के दूध में कोरोना संक्रमण नहीं होता।