रामपुर‚ 02 अक्टूबर 2020। स्वास्थ्य विभाग की अपील पर आयुर्जीवनम् सेवा समिति आशाओं‚ आगनवाडी कार्यकर्ता और जनपद के 35 हैल्थ एंड वैलनेस सेंंटर को परिवार नियोजन जागरूकता में सहयोग दे रही है। एक अक्टूबर से प्रारंभ हुए ‘दो गज की दूरी मास्क और परिवार नियोजन है जरूरी‘ संदेश के साथ सचिव एवं आयुर्वेद–मनोचिकित्सक डा० कुलदीप चौहान ने कहा कि आदर्श परिवार में पति–पत्नी और बच्चे स्वस्थ्य एवं सुपोषित हो इसके लिये जरूरी है कि 21 वर्ष में शादी हो और तीन वर्ष तक दांपत्य जीवन को जिये। फिर संतान प्लान करें और पांच साल बाद दूसरी संतान का प्लान करें। इस दौरान शारीरिक और मानसिक तौर पर दंपत्ती और बच्चे पूर्ण पोषित और स्वस्थ्य होगों। आय के अनुसार सही पालन पोषण एवं शिक्षा प्रदान कर सकेगें। परिवार नियोजन का सही अर्थ यही है कि परिवार का पूर्ण विकास हो। प्लानिंग के साथ परिवार का पोषण ठीक ढंग से किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अनचाहे गर्भ से बचाव जरूरी है और इसके लिये स्वास्थ्य विभाग द्धारा आशा कार्यकर्ता के माध्यम से निःशुल्क परिवार नियोजन के साधनों का अपनी मर्जी से चुनाव कर सकते है। इसक लिये परिवार नियोजन सलाहकार की भी सहायता प्राप्त की जा सकती है। परिवार नियोजन सलाहकार जिला महिला अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में है। इसके अतिरिक्त हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर पर अपने सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी से भी परामर्श प्राप्त् कर सकते है। डा० चौहान ने कहा कि 31 अक्टूबर तक चलने वाले इस अभियान का उद्देश्य कोविड-19 से बचाव के संदेश के साथ परिवार नियोजन के महत्व के संदेश को घर-घर आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से देना है। इस पूरे माह के दौरान आशा कार्यकर्ता अपने कार्यस्थल के हर लक्ष्य दंपति के घर गृह भ्रमण के दौरान जाएंगे। समुदाय में परिवार नियोजन के लाभ बताते हुए कोई न कोई साधन लेने के लिए प्रेरित करेंगी। प्रत्येक आशा कार्यकर्ता द्वारा कम से कम तीन लाभार्थियों को अंतराल विधियों जैसे-एक लाभार्थी को त्रैमासिक इंजेक्शन अंतरा, एक को पीपीआईयूसीडी व एक को आईयूसीडी की सेवा दिलाना है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन डीसीपीएम प्रभात कुमार के मुताबिक, गर्भ निरोधक साधनों को अपनाकर जहां महिलाओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है। वहीं यह मातृ एवं शिशु मृत्यु दर कम करने में भी सहायक है। आज विश्व गर्भनिरोधक दिवस के मौके पर भी लोगों को गर्भ निरोधक साधनों के प्रति जागरूक किया जा रहा है। इसका उद्देश्य युवा दम्पति को यौन और प्रजनन स्वास्थ्य पर सूचित विकल्प देकर अपने परिवार के प्रति निर्णय लेने में सक्षम बनाना है। लोगों को जागरूक करने के साथ ही उन तक उचित गर्भ निरोधक सामग्री (बास्केट ऑफ च्वाइस) पहुंचाने के लिए आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित भी किया गया है और इसके प्रचार-प्रसार के लिए ‘जरूरी है बात करना’ अभियान भी चलाया जा रहा है।