रामपुर‚ 26 अक्टूबर 2020। सर्दी के मौसम में शिशुओं को निमोनिया का ख़तरा अधिक होता है। इसलिए इस मौसम में शिशुओं को ठंड से बचाना चाहिए| इससे बचाव के लिए पीसीवी का टीका बच्चे को लगवाना चाहिए। आमतौर पर निमोनिया से शिशुओं, बच्चों एवं 65 वर्ष से ऊपर आयु वाले लोगों या कमजोर प्रतिरोधक प्रणाली वाले लोगों को अधिक ख़तरा होता है। यह बात महिला चिकित्सालय के बाल रोग चिकित्सक डा० ब्रिजेश चन्द्र सक्सैना ने कही। उन्होंने कहा कि निमोनिया को लोग आमतौर पर साधारण स्वास्थ्य समस्या मानते हैं, लेकिन यह समस्या इतनी भी साधारण नहीं है। अगर इसका समय रहते सही तरह से इलाज ना किया जाए तो व्यक्ति की जान पर भी बन आती है। निमोनिया होने पर हमारे फेफड़े संक्रमित हो जाते हैं और इससे श्वसन प्रणाली प्रभावित होते हैं। इस संक्रमण में एक या दोनों फेफड़ों के वायु के थैलों में द्रव या मवाद भर जाता है और सूजन आ जाती है, जिससे बलगम या मवाद वाली खांसी, बुखार, ठंड लगने और सांस लेने में तकलीफ होने जैसी समस्या हो सकती है।
लक्षण
निमोनिया के लक्षण हल्के से गंभीर तक हो सकते हैं, जो संक्रमण के कारण, रोगाणु के प्रकार, आपकी उम्र व स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। सामान्य लक्षण अक्सर सर्दी या फ्लू के समान होते हैं, लेकिन वे लंबे समय तक रहते हैं। अन्य लक्षण हैं−
– सांस लेने या खांसने पर सीने में दर्द
– 65 वर्ष व उससे अधिक उम्र के व्यक्तियों में मानसिक भ्रम की स्थिति
– खांसी, जो कफ पैदा कर सकती है
– थकान
– बुखार, पसीना और कंपकंपी ठंड लगना
– सामान्य शरीर के तापमान से कम (65 वर्ष से अधिक आयु के वयस्कों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में)
– मतली, उल्टी या दस्त
– सांस लेने में परेशानी
रिस्क फैक्टर
निमोनिया यूं तो भी किसी भी व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है। लेकिन दो साल व उससे कम उम्र के बच्चों तथा 65 वर्ष व उससे अधिक उम्र के लोगों में इसका रिस्क फैक्टर सबसे ज्यादा होता है।
बचाव
अगर आप चाहते हैं कि आपको निमोनिया प्रभावित ना करे तो इसके लिए आप कुछ उपाय अपना सकते हैं। जैसे−निमोनिया और फ्लू से बचाव के लिए टीके उपलब्ध हैं। आप डॉक्टर की सलाह पर यह टीके लगवा सकते हैं। साफ़ सफाई का ख्याल रखकर भी संक्रमण से बचा जा सकता है। श्वसन संक्रमण से खुद को बचाने के लिए आप अपने हाथों को नियमित रूप से धोएं या फिर अल्कोहल−आधारित हैंड सेनिटाइज़र का उपयोग करें। मास्क का सही से प्रयोग करें।
धूम्रपान से परहेज करें। धूम्रपान आपके फेफड़ों के श्वसन संक्रमण के खिलाफ प्राकृतिक सुरक्षा को नुकसान पहुंचाता है। अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखें। पर्याप्त नींद लें, नियमित व्यायाम करें और स्वस्थ आहार लें। मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली किसी भी तरह के संक्रमण को शरीर को प्रभावित होने से रोकता है।
बच्चों में प्रमुख लक्षण
सांस तेज लेना, कफ की आवाज आना आदि भी निमोनिया का संकेत हो सकते हैं। निमोनिया के आम लक्षणों में खांसी, सीने में दर्द, बुखार और सांस लेने में मुश्किल आदि होते हैं। उल्टी होना, पेट या सीने के निचले हिस्से में दर्द होना, कंपकंपी, शरीर में दर्द, मांसपेशियों में दर्द भी निमोनिया के लक्षण हैं। पांच साल से कम उम्र के ज्यादातर बच्चों में निमोनिया होने पर उन्हें सांस लेने तथा दूध पीने में भी दिक्कत होती है और वह सुस्त हो जाता है। बच्चो की प्रतिरक्षा प्रणाली मज़बूत बनी रहे इसलिए जन्म के तुरंत बाद बच्चे को मां का पहला गाढ़ा दूध जिसे कोलेस्टरम कहते है अवश्य पिलाना चाहिए।
जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसते व छीकते हैं तो इसका वायरस व बैक्टीरिया सांस द्वारा फेफड़ों तक पहुंच कर व्यक्ति को संक्रमित कर देता है। निमोनिया का अटैक बच्चों पर ज्यादा होता है। खासतोर पर पांच साल से कम उम्र के ज्यादातर बच्चों में निमोनिया होने पर उन्हें सांस लेने में दिक्कत होती है। दूध पीने में भी दिक्कत होती है। इस बीमारी से बचाव के लिए छोटे बच्चों को संक्रमित व्यक्ति से दूर रखना चाहिए।
डा० राजीव अग्रवाल‚ वरिष्ठ बालरोग चिकित्सक एसएनसीयू