SC/ST एक्ट पर भारत बंद आंदोलन : सवर्ण समाज के लोग सड़कों पर उतर कर केंद्र सरकार की नीति का विरोध कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि केंद्र सरकार की नीति से सवर्ण समाज पर असर पड़ेगा।
मध्यप्रदेश में SC/ST एक्ट के विरोध पर सवर्णों का भारत बंद का असर देखने को मिल रहा है। बिहार के आरा में बंद समर्थकों ने बाजारों को बंद कराने के साथ ही ट्रेनें भी रोकी हैं। आरा के अलावा दरभंगा और पटना में बड़े पैमाने पर विरोध हो रहा है। सवर्ण समाज का कहना है कि वो किसी खास समुदाय के खिलाफ नहीं है। लेकिन केंद्र सरकार को सवर्ण समाज की भावना का भी सम्मान करना चाहिए।
इस आंदोलन के दौरान मध्यप्रदेश में प्रशासन की सबसे ज्यादा सजगता देखने को मिल रही है। मध्यप्रदेश सरकार ने राज्य के कई हिस्सों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। यहां 10 जिलों में धारा 144 लागू कर दी गई है और एहतियातन हालातों को काबू में रखने के लिए 10 बजे से 4 बजे तक पेट्रोल पंपों को बंद रखा गया है। कुछ शहरों में शिक्षण संस्थान और इंटरनेट बंद है।
एससी-एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट के बदलाव करने के बाद 2 अप्रैल को आरक्षण पाने वाले समाज ने आंदोलन किया था। इस दौरान ग्वालियर, चंबल-संभाग में सबसे ज्यादा हिंसा देखने को मिली थी। चार लोगों की मौत हुई थी और इस बार सरकार ऐसी घटनाओं को लेकर सतर्क है।
मध्य प्रदेश के ग्वालियर में ड्रोन कैमरे के जरिए प्रदर्शनकारियों पर नजर रखी जा रही है। ग्वालियर में तैनात एसडीएम का कहना है कि सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि केंद्र की नीतियों से सवर्ण समाज को नुकसान पहुंच रहा है।
राजस्थान में प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर चुके हैं। अजमेर में सवर्ण समाज के लोगों ने दुकानों को बंद करा कर अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं।
बिहार के दरभंगा में भारत बंद का असर देखने को मिल रहा है। इसके साथ ही मुंगेर में प्रदर्शनकारी रेल की पटरियों पर जहां वो सरकार के इस फैसले की खिलाफत कर रहे हैं।
मध्य प्रदेश के 35 जिले हाई अलर्ट पर हैं। सुरक्षा बलों की 34 कंपनियों को तैनात किया गया है। कुछ जिलों में धारा 144 लागू है।
बिहार के आरा में बंद समर्थकों ने ट्रेन को रोक दिया है। इसके साथ ही बाजारों को भी बंद कराया है। सवर्ण समाज का कहना है कि केंद्र सरकार का इस तरह के डॉरकोनियन एक्ट को वापस लेना चाहिए।
20 मार्च 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट के गलत इस्तेमाल को लेकर चिंता जाहिर की थी। कोर्ट ने इस कानून के तहत प्राथमिकी दर्ज होते ही किसी की तुरंत गिरफ्तारी करने पर रोक लगा दी थी। साथ ही गिरफ्तारी के बाद अग्रिम जमानत का प्रावधान भी कर दिया था।
कोर्ट के इसी फैसले के बाद एससी/एसटी वर्ग सड़कों पर उतर आया। बाद में केंद्र सरकार को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) संशोधन विधेयक, 2018 संसद में पारित कराना पड़ा। सरकार के इस फैसले पर अब सवर्णों में नाराजगी है।