रामपुर : रामपुर में रोज ऐसे अस्पतालों की संख्या में इजाफा दिख रहा है जिनका संचालन अप्रिशक्षित लोगों द्वारा किया जा रहा है , आये दिन मीडिया में ऐसे अस्पतालों की चर्चा होती है, जहाँ मुश्किलों और कड़ी मेहनत से कि गई कमाई और यहाँ तक कि २ प्रतिशत मासिक व्याज दर से ली गई रकम से जीने कि आशा में लोग इन अस्पतालों का रुख करते हैं और जहाँ इनको इन सबके बदले मौत मिलती है
लेकिन जिला अस्पताल प्रशाशन इनके आगे बोना दिखाई देता है , जिला अस्पताल प्रशाशन द्वारा नोटिस देने के अलावा कोई ठोस कार्यवाही नहीं कि जाती है , जिससे लोगों कि जान से खेलनेवालों इन अस्पतालों के संचालकों में कोई डर दिखाई दे . क्या नोटिस के परिणाम वास्तव में प्रभावी हैं या संचालकों के रसूख और पैसे के दम पर यह नोटिस सिर्फ एक कागजी कार्यवाही ही बनकर रह जाती है, और हम्रारे समाज के निष्टावान पत्रकार बंधू इन रसूखदार अस्पताल संचालकों के खिलाफ खबरों को हमारे आपके बीच रखते है लेकिन जिला अस्पताल प्रशाशन और संचालकों के बीच सांठ गाँठ के चलते कई लाचार लोगों कि मौत पर अफ़सोस जाहिर करने के लिए मजबूर है , आखिर क्यों सरकारी अस्पताल प्रशाशन ऐसे अवैध अस्पतालों को चिन्हित क्यों नहीं कर पाता है , और क्यों इनके खिलाफ कोई ठोस कार्यवाही नहीं कर सकने में सक्षम है , आखिर क्यों एक सामान्य पीड़ित न्याय के लिए सर्वप्रथम अस्पताल प्रशाशन को छोड़कर पत्रकार से न्याय की उम्मीद कर लेता है …….