धनतेरस के दिन धन और आरोग्य के लिए भगवान धन्वंतरि और कुबेर की पूजा की जाती है
भारत में हर त्योहार का अपना महत्व है. ऐसा ही एक त्योहार धनतेरस है. दिवाली से पहले धनतेरस पर पूजा का विशेष महत्व होता है. इस दिन धन और आरोग्य के लिए भगवान धन्वंतरि और कुबेर की पूजा की जाती है.
क्यों मनाया जाता है धनतेरस?
शास्त्रों के मुताबिक धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था. इसी दिन समुद्र मंथन के दौरान वो अपने साथ अमृत का कलश और आयुर्वेद लेकर प्रकट हुए थे. इसी कारण से भगवान धन्वंतरि को औषधी का जनक भी कहा जाता है. ऐसा माना जाता है कि धनतेरस के दिन सोने-चांदी के बर्तन खरीदना भी शुभ होता है.
पूजा करने की विधि
धनतरेस पर धन्वंतरि और लक्ष्मी गणेश की पूजा करने के लिए सबसे पहले एक लकड़ी का पाटा लें और उस पर स्वास्तिक का निशान बनाएं. उसके बाद पाटे पर तेल का दिया जलाकर रख दें और आस-पास गंगाजल की छीटें लगाए. दीपक पर रोली और चावल का तिलक लगाएं. दिपक में थोड़ी सा मीठा डालकर भोग लगाएं फिर देवी लक्ष्मी और गणेश भगवान को कुछ पैसे चढ़ाएं. दीपक का आर्शीवाद लेकर दिए को मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा में रखें.
इस मंत्र से भगवान धन्वंतरि का करें आह्ववान
देवान कृशान सुरसंघनि पीडितांगान, दृष्ट्वा दयालुर मृतं विपरीतु कामः पायोधि मंथन विधौ प्रकटौ भवधो, धन्वन्तरि: स भगवानवतात सदा नः ॐ धन्वन्तरि देवाय नमः ध्यानार्थे अक्षत पुष्पाणि समर्पयामि…
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– सुबह 7.33 बजे तक दवा और अनाज खरीद सकते