आजकल किडनी में स्टोन की समस्या बहुत ही आम हो गई है। जिसका कारण खराब खानपान और अनियमित दिनचर्या है। हालांकि यह बीमारी अनुवांशिक भी हो सकती है। दरअसल, जब नमक और अन्य खनिज पदार्थ (ऐसे पदार्थ जो आदमी के मूत्र में मौजूद होते हैं) एक दूसरे के संपर्क में आते है तो स्टोन बनना शुरू हो जाता है। किडनी स्टोन का आकार अलग-अलग हो सकता है। कुछ स्टोन रेत के दानों की तरह बहुत छोटे आकार के होते हैं तो कुछ बहुत बड़े होते हैं। आमतौर पर छोटे-मोटे स्टोन मूत्र के जरिये शरीर के बाहर निकल जाते हैं, लेकिन जो आकार में बड़े होते हैं वे बाहर नहीं निकल पाते। पथरी होने पर कई लोग ऑपरेशन करवाना पसंद करते हैं, लेकिन यह काफी हद तक सही नहीं रहता है। बेहतर है कि पीड़ित इसके लिए सही घरेलू नस्खों का प्रयोग करे।
सिंहपर्णी औषधि उपयोग प्राचीन काल से ही होता आ रहा है। आर्युवेद में सिंहपर्णी की जड़ें, फूल, पत्ते, तने के गुणों के बारे में वर्णन किया गया है। सिंहपर्णी पेट विकार गैस, कब्ज, पाचन, लीवर, डायबिडीज, किड़नी स्टोन, नजर दोष, पाइल्स, गठिया जोड़ों के दर्द, चोट, आंतरिक विकार में इस्तेमाल किया जाता है। शोध में सिंहपर्णी में रिच बीटा कैरोटीन, फाइबर, विटामिन-ए, विटामिन-सी, फाॅस्फोरस, मैग्नीशियम, जिंक, फाइबर, पोटेशियम, आयरन, प्रोटीन, कैल्शियम की मात्रा मौजूद है। सिंहपर्णी के पत्ते हरे नुकीले, फूल पीले रंग के, जड़ लम्बी छोटी गांठदार, बारीक रेशों में, और जड़े गहरे पीले रंग की होती है। सिंहपर्णी पौधे घर पर गमलों पर भी आसानी से उगाये जाते हैं। सिंहपर्णी प्राकृतिक रिच गुणों से भरपूर औषधि है। कई देशों में सिंहपर्णी की खेती की जाती है। सिंहपर्णी पौधा अकसर नदी किनारे, तालाब किनारे, खाली जगह, बंजर खाली जगहों पर आमतौर पर पाई जाती है। सिंहपर्णी फूल, जड़ पाउड़र, तना महंगे दामों में बाजार में बेची जाती है। सिंहपर्णी का इस्तेमाल चाय से लेकर सौंदर्य प्रशाधन, दवाइंयां बनाने में तेजी से इस्तेमाल हो रहा है। Dandelion Herbal Remedies खास गुणों से परिपूर्ण है।
सिंहपर्णी फूल के फायदे
सिंहपर्णी फूल किडनी स्टोन को जड़ से खत्म करने में बहुत फायदेमंद है। यह स्टोन को जड़ से साफ करने के साथ ही किडनी की मरम्मत भी करता है। यह एक किडनी टॉनिक के रूप में भी कार्य करता है जो कि गुर्दे के पत्थरों के लिए घरेलू उपचारों में से एक होने के अलावा पित्त के उत्पादन को उत्तेजित करता है। यह अपशिष्ट को खत्म करने, मूत्र उत्पादन बढ़ाने और पाचन में सुधार करने में मदद करता है। सिंहपर्णी फूल में विटामिन ए, बी, सी, डी और विभिन्न खनिजों जैसे पोटेशियम, लौह और जिंक भी होते हैं। आप आपको ताजा सिंहपर्णी फूल मिल जाए तो आप उसका रस निकालकर सेवन कर सकते हैं। यह स्वाद में कड़वा होता है इसलिए आप इसके साथ नारंगी छील, अदरक और सेब को भी मिला सकते हैं। आप इसे दिन में 3 से 4 बार पी सकते हैं। यदि आपको यह फूल न मिले तो बाजार में इस फूल की चाय भी मिलती है आप उसका सेवन भी कर सकते हैं।
और भी नुस्के है असरदार
करेला वैसे तो बहुत कड़वा होता है और आमतौर पर लोग इसे कम पसंद करते है। परन्तु पथरी में यह रामबाण की तरह काम करता है। करेले में मैग्नीशियम और फॉस्फोरस नामक तत्व होते हैं, जो पथरी को बनने से रोकते हैं।
अंगूर में एल्ब्यूमिन और सोडियम क्लोराइड बहुत ही कम मात्रा में होता हैं, इसलिए किडनी में स्टोन के उपचार के लिए बहुत ही उत्तम माना जाता है। साथ ही अंगूर प्राकृतिक मूत्रवर्धक के रूप में उत्कृष्ट रूप में कार्य करता है क्योंकि इनमें पोटेशियम नमक और पानी भरपूर मात्रा में होते हैं।
पथरी की समस्या से निपटने के लिए केला खाना चाहिए क्योंकि इसमें विटामिन बी 6 होता है। विटामिन बी 6 ऑक्जेलेट क्रिस्टल को बनने से रोकता और तोड़ता है। साथ ही विटामिन बी-6, विटामिन बी के अन्य विटामिन के साथ सेवन करना किडनी में स्टोन के इलाज में काफी मददगार होता है। एक शोध के मुताबिक विटामिन-बी की 100 से 150 मिलीग्राम दैनिक खुराक गुर्दे की पथरी की चिकित्सीय उपचार में बहुत फायदेमंद हो सकता है।
नींबू का रस और जैतून के तेल का मिश्रण, गुर्दे की पथरी के लिए सबसे प्रभावी प्राकृतिक उपचार में से एक है। पत्थरी का पहला लक्षण होता है दर्द का होना। दर्द होने पर 60 मिली लीटर नींबू के रस में उतनी ही मात्रा में आर्गेनिक जैतून का तेल मिला कर सेवन करने से आराम मिलता है। नींबू का रस और जैतून का तेल पूरे स्वास्थ्य के लिए अच्छा रहता है और आसानी से उपलब्ध भी हो जाता हैं
किडनी में स्टोन को निकालने में बथुए का साग बहुत ही कारगर होता है। इसके लिए आप आधा किलो बथुए के साग को उबाल कर छान लें। अब इस पानी में जरा सी काली मिर्च, जीरा और हल्का सा सेंधा नमक मिलाकर, दिन में चार बार पीने से बहुत ही फायदा होता है।