लीची हमेशा तरोताज़ा रहने वाले ऊँचे पेड़ों पर लगती है। घनी हरी पत्तियों के बीच गहरे लाल रंग के बड़े-बड़े गुच्छों में लटके लीची के फल देखते ही बनते हैं। पहली शताब्दी में दक्षिण चीन से प्रारंभ होने वाली लीची की खेती आज थाइलैंड, बांग्लादेश, उत्तर भारत, दक्षिण अफ्रीका, हवाई और फ्लोरिडा तक फैल चुकी है।
इन प्रदेशों की जलवायु लीची के लिए उपयुक्त पाई गई है। अन्य फलों की तरह लीची भी पौष्टिक तत्वों का भंडार है।लीची में पानी की मात्रा भी काफी होती है। इसमें विटामिन सी, पोटैशियम और नैसर्गिक शक्कर की भरमार होती है। गरमी में खाने से यह शरीर में पानी के अनुपात को संतुलित रखते हुए ठंडक भी पहुँचाता है। दस लीचियों से हमें लगभग ६५ कैलोरी मिलती हैं।
लीची को बतौर फल ही नहीं खाया जाता, इसका जूस और शेक भी बहुत पसंद किए जाते हैं। जैम, जैली, मार्मलेड, सलाद और व्यंजनों की गार्निशिंग के लिए भी लीची का इस्तेमाल किया जाता है। स्ट्राबेरी की तरह दिखने वाली हार्ट-शेप लिए छोटी-सी लीची में कार्बोहाइड्रेट, विटामिन सी, विटामिन ए और बी कॉम्प्लेक्स, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉसफोरस, लौह जैसे खनिज लवण पाए जाते हैं, जो इसे हमारी सेहत का खजाना बना देते हैं।