सरकार देश को भ्रष्टाचार मुक्त करने और काले धन पर लगाम लगाने के लिए कैशलेस लेनदेन को बढ़ावा देना चाहती है
मोदी सरकार हिंदुस्तान को एक अलग और डिजिटल हिंदुस्तान बनाने के लिए चेकबंदी करने की तैयारी में जुट गयी है ,मोदी सरकार भारत में रहने वाले नागरिको को अपनी उपलब्धियों के जरिये एक न्यू इंडिया मॉडर्न इंडिया की नीव पर रख भारत का विकास करना चाहती है !
पिछले साल नवंबर में नोटबंदी करने वाली मोदी अब चेकबंदी करने की तैयारी कर रही है. सरकार देश को भ्रष्टाचार मुक्त करने और काले धन पर लगाम लगाने के लिए कैशलेस लेनदेन को बढ़ावा देना चाहती है. इसी के तहत सरकार बैंकों से मिलने वाले चेक की सुविधा को बंद करना चाहती है.
एनडीटीवी की खबर के मुताबिक फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) का कहना है कि केंद्र की मोदी सरकार जल्द ही चेक की व्यवस्था को खत्म करने का आदेश जारी कर सकती है. संगठन के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल का कहना है कि सरकार क्रेडिट और डेबिट कार्डों के इस्तेमाल को लगातार बढ़ावा दे रही है, और इसे अधिक सुचारु और लोकप्रिय बनाने के लिए वह चेकबुक की सुविधा को भी खत्म कर सकती है.
उन्होंने कहा कि नोटबंदी से पहले केंद्र सरकार नए करेंसी नोटों की छपाई पर लगभग 25,000 करोड़ रुपये खर्च करती थी, उनकी सुरक्षा पर 6,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त रकम खर्च करनी पड़ती थी. चेक की सुविधा को खत्म करने से कैशलेस अर्थव्यवस्था की दिशा में कितना लाभ होगा, इस सवाल के जवाब में प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि अधिकतर व्यापारिक लेनदेन चेक के जरिये ही होते है.
सीएआईटी के महासचिव ने यह भी कहा कि देश में 95 फीसदी लेनदेन नकदी या चेक के जरिए ही होता है. नोटबंदी के बाद कैश लेनदेन में कमी आई है ऐसे में चेक के इस्तेमाल में बृद्धि हुई होगी.