23 मार्च से भारत 21 दिनों के लिए लॉकडाउन में है, सरकार ने सभी मॉल, सिनेमा हॉल, सार्वजनिक परिवहन को बंद करने का आदेश दिया और सभी प्रकार के सामाजिक और धार्मिक कार्यक्रमों को रद्द कर दिया गया है. 1400 से अधिक कोरोना मरीज अब तक देश मैं पाए गए और 38 मौतें दर्ज की जा चुकी हैं.
लेकिन ऐसा लगता है कि कुछ लोग और समाज का एक वर्ग इसे गंभीरता से नहीं ले रहा है, यहां तक कि वे किसी भी निर्देश का पालन नहीं करना चाहते हैं. दिल्ली के निजामुद्दीन क्षेत्र में 1500-1700 लोग तब्लीगी जमात के कार्यक्रम में जमा हुए. लोकडाउन की घोषणा के बाद भी इसे 25 मार्च तक जारी रखा गया था.
निजामुद्दीन में तब्लीगी जमात का बेरहम मामला तब सामने आया जब दिल्ली में एक 64 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गई. इस व्यक्ति को कोरोना पॉजिटिव पाया गया. इसके बाद 334 लोगों को भर्ती किया गया, जिनमें से कुछ कोरोना पॉजिटिव निकले. खबर मिलने के बाद सरकार ने कार्रवाई की और पता चला कि इस समारोह में लगभग 2000 लोग इकट्ठा हुए थे। उनमें से कई अभी भी मरकज में रह रहे हैं, अब तक लगभग 1033 लोगों निकाला गया.
डॉक्टरों की एक टीम निरीक्षण के लिए वहां गई और उनमें से कई में नोवेल कोरोना वायरस के लक्षण पाए गए. 334 लोगों को अस्पताल भेजा गया है, जबकि 700 लोगों को क्वारनटीन किया गया है. अब तक उनमें से 24 लोगो में कोरोना वायरस के पुष्टि हो चुकी हैं. तेलंगाना में भी कोरोनोवायरस के कारण मरने वाले 6 लोग इस कार्यक्रम में शामिल हुए थे.
15 देशों के लोग निज़ामुद्दीन में स्थित जमात के मरकज़ में आए थे. इंडोनेशिया, मलेशिया, श्रीलंका सहित कई देशो से लोग शामिल हुए थे. सबसे ज्यादा लोग इंडोनेशिया से आए थे. सूत्रों के मुताबिक, इंडोनेशिया के मरकज में 800 लोग रुके थे। अब उनकी जांच शुरू हो गई है.
निज़ामुद्दीन स्थित जमात के, कोरोना से 9 लोगों की मौत हो गई हैं. मरने वालों में तेलंगाना से लेकर कश्मीर तक के लोग थे. इसके बाद पूरे देश में हड़कंप मच गया है. हर राज्य ने अलर्ट जारी किया है. जमात के लोगों की तलाश की जा रही है. तेलंगाना में लगभग 200 लोगों को क्वारंटाइन किया गए हैं , जबकि तमिलनाडु में 800 लोगों की पहचान की गई हैं.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मरकज निजामुद्दीन मस्जिद के एडमिनिस्ट्रेशन के खिलाफ पुलिस से एक्शन लेने के लिए कहा हैं, मौलना पे FIR करने के लिए कहा गया हैं.