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दुनियाभर की सभ्यताओं में है जलपरी जैसे प्राणियों के रहस्यमयी किस्से

by admin
December 21, 2017
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मिथक और लोककथाएं मनुष्य और पशुओं के मेल से बने प्राणियों के जिक्र से भरे हैं, इनमें से ज्यादातर को दिव्य हैसियत हासिल है- भले ही उन्हें देव माना जाता है, राक्षस कहा जाता हो या फिर धूर्त समझा जाता हो

मनुष्य को हमेशा ही पशुओं की ताकत से ईर्ष्या रही है. उसकी स्वाभाविक कामना रही है कि उसमें पशुओं सी ताकत आ जाए और इस ताकत के सहारे वह महा-बलशाली बन जाए. मनुष्य की यह कामना किंवदंतियों और मिथकीय कथाओं से झलकती है. फरिश्ता, परी, यूनान के ड्रेकिना, मॉथमेन, सेराफ्स, नार्स वाकिरिज, असीरिया के पंखयुक्त जिन्न, मौत के बाद लोगों को पाताल लोक की यात्रा पर ले जाने वाले वंथ जिनका जिक्र इट्रूस्कन की दंतकथाओं में आता है, यहूदी धर्म की कथाओं में पाए जाने वाले चेयत- ये सब पंखधारी मनुष्य हैं.

मिथक और लोककथाएं मनुष्य और पशुओं के मेल से बने प्राणियों के जिक्र से भरे पड़े हैं. इनमें से ज्यादातर को दिव्य हैसियत हासिल है- भले ही उन्हें देव माना जाता है, राक्षस कहा जाता हो या फिर धूर्त समझा जाता हो. ईसाई धर्म से संबंधित कला-रचनाओं में शैतान का चित्रण मानव शरीरधारी के रूप में किया जाता है, उसके सिर पर बकरी या भेड़ के सींग लगे होते हैं, कान भी बकरी या भेड़ के ही होते हैं और सामने के दांत सुअर के.

प्राचीन मेसोपोटामिया में राक्षसों, दक्षिण-पूर्वी हवा और आंधी-तूफान और सूखे के देव पजूजू को मानव शरीरधारी के रूप में दिखाया जाता था, उसका सिर शेर या कुत्ते का होता था, पंजे बाज के. उसकी पूंछ बिच्छू जैसी होती थी और पजूजू के पंख भी लगे होते थे. (हालांकि पजूजू एक शैतानी फितरत वाली आत्मा है लेकिन माना जाता है कि वह दूसरी बुरी बलाओं को दूर भगाता है, मनुष्यों को प्लेग और दुर्भाग्य से बचाता है).

मनुष्य और पशुओं के मिले-जुले रूप से बनी आकृतियां लाखों बरस पुराने गुफा-चित्रों में देखी जा सकती हैं. ये चित्र पुरोहितों से संबंधित हैं जो अलग-अलग जानवरों के मानसिक और आध्यात्मिक गुण हासिल करने की प्रक्रिया में लगे जान पड़ते हैं.

हिंदू धर्म में भी हैं कई पशु-मनुष्य मेल से बने देव

भारत में मनुष्य और पशु के मेल से बने सबसे प्रसिद्ध देव हैं गणेश. लेकिन बाकी संस्कृतियों से अलग हमारे मिथकों में पूज्य मानने के लिए जरूरी नहीं कि किसी किरदार की रचना पशु और मनुष्य को मिलाकर की जाए. हिंदू धर्म के मिथकों या इससे पहले के भारतीय मिथकों की खासियत ये है कि उसमें पशुओं को स्वयं में ही देव माना गया है.

कूर्म यानि कछुआ एक अवतार है, मत्स्य यानी मछली को भी एक अवतार माना गया है. गरुण यानि बाज पक्षी भी देव है. जामवंत नाम के भालू, कामधेनु गाय (हालांकि बाद के मिथकों में कामधेनु गाय का सिर मनुष्य का, शरीर गाय का और पंख तथा पूंछ मोर का बना मिलता है), शेषनाग जिनके बारे में माना जाता है कि वे इच्छा होने पर बलराम की तरह मनुष्य का रूप धर सकते हैं- ये सब देव हैं.

पुराणों में शेष (नाग) को मनुष्य शरीरधारी तपस्वी माना गया है. ब्रह्मा ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें संसार-चक्र जारी रखने की जिम्मेदारी सौंपी. शेष ने नाग का रूप धर लिया और धरती के एक बिल में समाकर एकदम निचले छोर पर चले गए और यहां पहुंचकर पृथ्वी को अपने सिर पर धारण कर लिया.

पशु-मनुष्य का मेल दिव्य

दूसरी संस्कृतियों जैसे कि यूनान, रोम, मिस्र, मेसोपोटामिया, चीन, जापान में मनुष्य और पशु का योग होने पर ही कथा का कोई पात्र दिव्य माना जाता है.

पॉन यूनान का मिथकीय पात्र है. उसका धड़ मनुष्य का होता है जबकि आगे-पीछे के पैर और इससे जुड़ा हिस्सा और सींग बकरी के. उसे वन, झाड़ी, गड़ेरिया और भेड़, प्रकृति और ग्राम्य संगीत का देव माना जाता है. वह उर्वरता और वसंत का प्रतीक है. अंग्रेजी का शब्द ‘पैनिक’ (खलबली) इसी से बना है. परेशान किए जाने पर पॉन जोर से चिल्लाकर सबको डरा देता है.

जब टाइटन कहे जाने वाले दैत्यों ने देवताओं के पर्वत ओलंपियस पर धावा बोला, तो कहा जाता है कि पॉन ने इन दैत्यों को डराकर भगा दिया था. पॉन से ही एक शब्द और बना है कंपेनियन यानी संगी-साथी और मेरे जानने में यह बड़ा अर्थवान शब्द है क्योंकि एक ऐसे स्वर्गिक जगत का संकेत करता है जहां मनुष्य और पशु आपस में दोस्त हैं.

यूनान मिथकीय पात्रों में सेट्र आधा मनुष्य है और आधा बकरी. वह हमेशा मौज-मजे की फिक्र में पड़ा रहता है. सेट्र से मिलता जुलता रोम की मिथकीय कथाओं में आने वाला एक किरदार है फाऊन. फाऊन कोई नुकसान नहीं पहुंचाता.

जलपरियां और समुद्र के देव

तकरीबन सारी ही मिथकीय कथाओं में मरमेड (मत्स्यकन्या या जलपरी) का जिक्र आता है. इसका शरीर आधा मनुष्य का और आधा मछली का होता है लेकिन फिर संस्कृति के हिसाब से मरमेड में ही कुछ खासियतें अलग से होती हैं. मिसाल के लिए जेंगू का उदाहरण लिया जा सकता है. कैमरुन में इसे जलपरी माना जाता है. जेंगू के शरीर का ऊपर का हिस्सा मनुष्य का होता है जबकि पूंछ वाला हिस्सा मछली का. बाल इसके लंबे होते हैं और दांतों के बीच फांक होती है. माना जाता है कि जेंगू की पूजा की जाए तो इससे सौभाग्य बढ़ता है और रोग दूर होते हैं.

फिलीपींस की लोककथाओं में सेरिना और सेरिनो नाम के जलपरियों (इसमें एक नर है दूसरा मादा) का जिक्र आता है. ये समुद्र की रखवाली करते हैं. माना जाता है कि सेरिना की आवाज में मंत्रमुग्ध कर देने वाली ताकत होती है और सेरिना नाविकों और मछुआरों को अपनी आवाज से सम्मोहित कर देती है जिसकी वजह से नाव और जहाज डूब जाते हैं. असीरिया और मेसोपोटामिया में दागोन नाम के एक मरमेन की उर्वरता के देव के रूप में पूजा होती थी.

सिकेलिया एक सी-विच (समुद्र की दानवी) का नाम है. इसका आधा शरीर मनुष्य का है और आधा ऑक्टोपस का. माना जाता है कि जापान की एक झील याजू में इसका निवास है. कुक नाम के द्वीप में एक देव अवेतिया कहलाते हैं. इस देव के शरीर का दायां भाग मनुष्य का है जबकि बायां हिस्सा मछली का. अवेतिया को देवताओं और मनुष्यों का पिता माना जाता है. इस देव की एक आंख सूरज है तो दूसरी आंख चंद्रमा. इस देव को प्रकाश का देवता माना जाता है.

मिथकीय किरदार और उनकी कहानियां

यूनान और रोम की मिथकों में एक किरदार हार्पी नाम का है. इसके शरीर का निचला हिस्सा, पंख और पंजे चिड़िया के हैं जबकी छाती और सिर एक स्त्री का. मान्यता है कि हार्पी अड़ियल और क्रोधी होती है और गंदगी में रहती है. इनका संबंध हवा और पाताल लोक से माना जाता है. जो लोग मरने से इनकार करते हैं उन्हें लेने के लिए हार्पी को भेजा जाता है. हार्पी अन्य देवों के लिए बदले की भावना से कार्रवाई करती है. यूनान का एक मिथकीय स्त्री-चरित्र है लिलिटस. इसके पैर और पंख चिड़िया के होते हैं. लिलिटस का काम है मनुष्यों को पाप-कर्म करने के लिए उकसाना ताकि समाज बर्बादी की तरफ जाए.

अल्कोनोस्त नाम के मिथकीय किरदार का संबंध रूस से है. अलकोनोस्त का सिर स्त्री का होता है और शरीर चिड़िया का. कहा जाता है कि अलकोनोस्त की आवाज इतनी मीठी होती है कि सुनने वाला अपना जाना-समझा हर कुछ भूल जाता है और अलकोनोस्त की मीठी आवाज के सिवाय और कुछ सुनने की उसकी इच्छा नहीं रह जाती. अलकोनोस्त का वास-स्थान पाताल लोक है जहां उसकी सहयोगी सिरीन रहती है. अलकोनोस्त अपने अंडे समुद्र-तट पर देती है और उन्हें समुद्र में गिरा देती है. जब अंडे से चूजे निकलते हैं तो समुद्र में भयानक तूफान आता है. समुद्र इतना विकराल हो जाता है कि उसमें जहाज या नाव चलाना मुश्किल हो जाता है.

संतों को मीठी वाणी में भविष्य की सुंदर बातें बताने वाली सिरीन

सिरीन का आधा शरीर उल्लू का और आधा मनुष्य का होता है. सिरीन संतों को अपनी मीठी वाणी में भविष्य की सुंदर बातें बताती है. मनुष्यों के लिए सिरीन खतरनाक है क्योंकि जो उसकी आवाज सुन लेगा उसको अपना जाना-समझा हर कुछ भूल जाएगा. ऐसा आदमी सिरीन के पीछे लग जाएगा और इसी क्रम में उसकी मृत्यु हो जाएगी. लोग खुद को सिरीन से बचाने के लिए जोर-शोर से हल्ला मचाते हैं ताकि यह चिड़िया भाग जाए. फारस में सिरीन शाश्वत आनंद और स्वर्गिक सुख का प्रतीक है. एक रूसी मिथकीय किरदार गमायूं नाम की स्त्री है. इसका शरीर चिड़िया का होता है. गमायूं को भविष्यदर्शी माना जाता है. वह ज्ञान और विवेक की प्रतीक है.

साइरेन यूनान की मिथकों में वर्णित एक चिड़िया है जिसकी देह चिड़िया की और चेहरा स्त्री का होता है. चेहरा कुछ ज्यादा बड़ा होता है. इसके पंख भी चिड़िया जैसे होते हैं और पैर चित्तीदार. मान्यता है कि साइरेन वीणा जैसा एक वाद्य बजाती है और उसका कंठ बहुत सुरीला होता है. साइरेन की आवाज सुनकर मनुष्य मोहित हो जाते हैं और उनकी मृत्यु हो जाती है.

जातक कथाओं में किन्नर का जिक्र आता है जिनकी आधी देह मनुष्य की और आधी चिड़िया की होती है. ये गीत-संगीत के प्रेमी होते हैं. किन्नरों में मादा ढोल बजाती है और नर किन्नर बांसुरी. बाद की पौराणिक कथाओं में इन्हें स्वर्गलोक का संगीतकार माना गया जो मनुष्यों की रक्षा करते हैं.

बौद्ध धर्म का करुण और हिंदू धर्म का गरुण

जापान में प्रचलित बौद्ध-धर्म की कथाओं में करुण का जिक्र आता है जो हिंदू धर्मकथाओं में वर्णित गरुण की तर्ज पर है. इसका सिर चिड़िया का और धड़ मनुष्य का होता है. करुण बड़ा विशाल होता है, उसकी सांस से आग की लपटें निकलती हैं और वह गैर-बौद्ध ड्रैगन/सर्प को अपना आहार बनाता है.

प्राचीन मिस्र के सबसे अहम देवों में एक है होरुज. इसका सिर बाज का होता है. होरुज कई तरह के काम अंजाम देता है. उसे आकाश, युद्ध और शिकार का देवता माना जाता है.

एक और मिथकीय किरदार बहुतायत में मिलता है जिसका आधा शरीर मनुष्य का और आधा घोड़े का होता है. फिलीपींस में लोक प्रचलित कथाओं में एंग्गीटे का जिक्र आता है. एंग्गीटे एक स्त्री है जिसके शरीर का ऊपर का हिस्सा मनुष्य का होता है और निचला हिस्सा घोड़े का. मान्यता है कि इसके शरीर से मोती झरते हैं. यूनान के मिथकीय किरदारों में सेंटोर और इसके पूर्ववर्ती इपोतेन का जिक्र आता है. माना जाता है कि इनमें रहस्यमय प्राचीन ऊर्जा होती है जो इनके पालनहार की इच्छा पूरी करने में मददगार होती है.

हिंदूधर्म में हयग्रीव की पूजा ज्ञान के देवता के रुप में होती है. हयग्रीव का शरीर मनुष्य का और सिर घोड़े का होता है. इसका रंग बहुत उजला होता है और कपड़े भी सफेद होते हैं. हयग्रीव श्वेत कमल पर विराजमान होते हैं. प्रतीक रूप में देखें तो दिव्यता वासना और अंधकार की आसुरी शक्तियों पर विशुद्ध ज्ञान की जीत का प्रतीक है. माना जाता है कि हयग्रीव की पूजा ईसा पूर्व 2000 से शुरू हुई. इस वक्त से इंडो-आर्यन शाखा के लोगों ने गति, ताकत और बुद्धिमत्ता के लिए घोड़े को पूजना शुरू किया था. हयग्रीव की पूजा अगस्त महीने में पूर्णिमा के दिन और नवरात्रि की पूजा के समय महानवमी के दिन होती है.

आध्यात्मिक उन्नति में पशुओं की मौजूदगी जरूरी

ऐसे किरदार बहुत सारे हैं. त्रासदी ये है कि हमने जैसे-जैसे प्रगति की है, पशुओं को अपनी आध्यात्मिक उन्नति में शामिल करना छोड़ दिया है. अब ऐसा कोई धर्म या संप्रदाय नहीं बचा जो धरती पर पाए जाने वाले समस्त जीव-जगत को अपने में शामिल करे.

सच्चाई ये है कि यजीदी धर्म जो प्राचीन मेसोपोटामिया के धार्मिक विश्वासों पर आधारित है और जिसका पालन इराक का एक अल्पसंख्यक समुदाय करता है, लोगों की भारी घृणा का शिकार है. यजीदी धर्म के मानने वाले एक फरिश्ते को पूजते हैं जो मोर की शक्ल का होता है. इसे मलेक तवस्सुस कहा जाता है. देवताओं ने इसे दुनिया की देखभाल के लिए भेजा है. लेकिन मलेक तवस्सुस की पूजा करने के कारण यजीदी लोगों को शैतान की पूजा करने वाला माना जाता है. जब मैं इन पंक्तियों को लिख रही हूं तो ठीक इसी वक्त यजीदी लोगों का पूरी तैयारी के साथ संहार किया जा रहा है.

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