दुनिया में एक से एक तानाशाह हुए हैं। विचारों-फैसलों से कुछ इतिहास के पन्नों में अमर हुए, तो कुछ का जिक्र उनके दुनिया से जाने पर हुआ। सोमवार रात मध्य अमेरिकी देश से ऐसे ही एक पूर्व तानाशाह के जब निधन की खबर आई। हमारी इतिहास की किताबों में भले ही उनका नाम न दर्ज हो, लेकिन उनके किस्से जरूर ताजा हो गए। नाम था ‘मैनुअल एंटोनियो नोरिगा’। मध्य अमेरिकी देश पनामा का वह तानाशाह, जिसे ‘डी फैक्टो लीडर’ (बगैर औपचारिक एलान के किसी स्वीकार किया गया नेता) का तमगा मिला। अमेरिकी सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (सीआईए) के लिए जासूसी की। साल 1983 में सेना अध्यक्ष रहा। फिर ड्रग तस्करी और बर्बर शासनकाल के लिए बदनामी झेली। देश में हुए अमेरिकी हमले के दौरान उन्हें सेना से बेदखल कर दिया गया था, जिसके बाद उन्होंने पनामा कैनाल की जेल में सजा काटी और अंततः हम सभी को अलविदा कह दिया।
83 साल में कहा, अलविदाः नोरिगा 83 साल के थे। यहां सोमवार को सैंटो टोमास अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली। सरकार के कम्यूनिकेशन सेक्रेट्री मैनुअल डोमनिग्वेज़ ने सोमवार रात इसकी जानकारी दी। मंगलवार सुबह पनामा के राष्ट्रपति जुआन कार्लोस वरेला ने भी इस बारे में ट्वीट किया।
ब्रेन ट्यूमर का थे शिकारः इलाज के लिए बीते 28 फरवरी को उन्हें अस्थाई तौर पर जेल से छुट्टी मिली थी। दरअसल, कई सालों से वह बीमार थे। सांस लेने में परेशानी, प्रस्टेट ग्रंथि में कैंसर और अवसाद जैसी बीमारियां उन्हें जकड़े थीं। मार्च से ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी चल रही थी। एक ऑपरेशन भी हुआ था।
हाउस अरेस्ट की मांग ठुकराईः एंटोनियो की नाजुक हालत होने से परिवार ने सरकार से उनकी बची हुई सजा हाउस अरेस्ट (घर में कैद रहकर सजा काटने) के रूप में मांगी थी। हालांकि, यह मांग ठुकरा दी गई थी। कहा गया कि ब्रेन ट्यूमर से उबरने के बाद उसे वापस जेल में ही रहना पड़ेगा।
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